Himachal news: नाथपा झाकड़ी प्रोजेक्ट पर घटा बिजली उत्पादन, भगवान से जल्द बारिश और बर्फबारी की फरियाद
बारिश न होने के चलते खुशक ठंड से क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप बढऩे लगा है। साथ ही सेब की फसल पर भी बुरा असर पड़ा है। लगातार सूखे की मार का असर इस क्षेत्र में विद्युत परियोजनाओं में बिजली उत्पादन में भी दिखने लगा है। रामपुर क्षेत्र के झाकड़ी में देश की सबसे बड़ी भूमिगत जल विद्युत परियोजना 1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी में विद्युत उत्पादन गिरा है। इसका देश के नौ राज्यों में विद्युत सप्लाई में भी असर पड़ रहा है। नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन से तैयार बिजली उत्तरी ग्रिड से देश के नौ राज्यों को भेजी जाती है, पर बिजली उत्पादन में कमी के चलते उत्तरी ग्रिड के राज्यों को भी मांग अनुसार बिजली नहीं मिल रही है। जानकारी के अनुसार पिछले 16-17 वर्षों में पहली बार सतलुज नदी में पानी की कमी से उक्त स्टेशन में बिजली लक्ष्य से काफी कम उत्पादन हो रहा है। इस पावर स्टेशन में गर्मियों के दिनों में 39 मिलियन यूनिट बिजली तैयार होती है, लेकिन वर्तमान में इस विद्युत परियोजना से छह मिलियन यूनिट से भी कम बिजली रोजाना तैयार हो रही है।
250 मेगावाट बिजली तैयार करना चुनौती
सतलुज नदी का स्तर परियोजना के किन्नौर के नाथपा बांध में 1200 क्यूमेक्स के पास रहता है, जो इस बार घटकर इन दिनों नदी में 70 क्यूमेक्स पानी रह गया है। नदी में पानी बढ़ते ही परियोजना से गर्मियों में पीक सीजन के दौरान 1650 मेगावाट दैनिक बिजली तैयार की जाती है, लेकिन आजकल 250 मेगावाट बिजली तैयार करना भी परियोजना निर्माताओं के लिए चुनौती बना हुआ है।
बिजली उत्पादन में डिजाइन एनर्जी से काफी पीछे
स्थिति को देखते परियोजना के विद्युत गृह में बने मंदिर में मंगलवार को विधि विधान से पूजा पाठ कर देवी देवताओं से मन्नत मांगी की की मौसम बरस जाए और बर्फ पड़े, ताकि गर्मियों में सतलुज नदी का जलस्तर आशानुरूप बना रहे और विद्युत उत्पादन आशा अनुरूप हो। नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन झाकड़ी के कार्यकारी निदेशक एवं परियोजना प्रमुख मनोज कुमार ने बताया कि बिजली उत्पादन में डिजाइन एनर्जी से इस बार वे काफी पीछे चल रहे है। आने वाले समय में बारिश होने से सतलुज नदी का जल स्तर बढ़े जिससे बिजली उत्पादन में सुधार हो यह उम्मीद लगाए है





