Chaitra Navratri 2023 : तिथि, इतिहास, महत्व और अन्य सभी जानकारी सिर्फ एक क्लिक पर
आप सभी यह तो जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में साल में चार नवरात्रि मनाये जाते हैं, जिनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का काफी अधिक महत्त्व है। देश भर में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा चैत्र और और शारदीय नवरात्रि में की जाती है, लेकिन नवरात्रि को मनाने का सबका अलग-अलग तरीका होता है। नवरात्र का यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। इन सभी नवरात्रों का जिक्र देवी भागवत व अन्य धार्मिक ग्रन्थो में भी किया गया है। हिंदी कलेंडर के हिसाब से चैत्र माह से हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है और इसी दिन से नवरात्रि भी शुरू होती हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) का पर्व साल में दो बार मनाने के पीछे के पोराणिक, अध्यात्मिक व प्राक्रतिक कारणों के बारे में जानते हैं।
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) 2023 तिथि :
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 22 मार्च (बुधवार) से शुरू और 30 मार्च, (गुरुवार) को समाप्त हो रही है।
पहला दिन – मां शैलपुत्री पूजा
दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा पूजा
चौथा दिन – मां कुष्मांडा पूजा
पांचवा दिन – सकंदमाता पूजा
छठा दिन – मां कात्यायनी पूजा
दिन 7 – मां कालरात्रि पूजा
आठवां दिन – मां महागौरी पूजा
नौवां दिन – राम नवमी
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) 2023 का महत्व
चैत्र नवरात्रि नौ दिवसीय त्योहार है, जो देवी दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा के लिए समर्पित है। इस त्योहार का प्रत्येक दिन एक अलग महत्व रखता है और मां दुर्गा के नौ अवतारों को समर्पित है। जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। कई हिंदू भक्त इस त्यौहार को भगवान राम को समर्पित करते हैं। इस दिन भक्तों द्वारा भगवान राम के जन्म व जीवन से जुड़े स्थानों को सजाया और पूजा की जाती हैं। नौ दिवसीय नवरात्रि समारोह के दौरान, मां दुर्गा और भगवान राम के भक्त शराब पीने, मांसाहार खाने और प्याज और लहसुन का सेवन करने से परहेज करते हैं। कई लोग हिंदू परंपराओं के अनुसार अनुष्ठान और पूजा भी करते हैं। इसके अतिरिक्त, चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर के दौरान मंदिरों और धार्मिक स्थलों को भक्तों के आने और उनकी पूजा करने के लिए सजाया जाता है।
मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का वध
वैसे तो नवरात्रि पर्व को लेकर अनेक प्रकार की मान्यताएं व कथाएं प्रचलित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक महिषासुर नाम का राक्षस था, ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पाकर वह देवताओं को सताने लगा था। महिषासुर के अत्याचार से तंग आकर सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और शिव के पास गए। जिसके बाद तीनों देवताओं ने आदि शक्ति का आवाहन किया। भगवान शिव और विष्णु के क्रोध व अन्य देवताओं के मुख से एक प्रकाश प्रकट हुआ, जो नारी के रूप में बदल गया। देवताओं से शक्तियां पाकर देवी दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा। देवी दुर्गा और महिषासुर का युद्ध शुरू हुआ, जो 9 दिनों तक चला। दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। मान्यता है कि इन 9 दिनों में देवताओं ने रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया। तब से ही नवरात्रि का पर्व मनाने की शुरुआत हुई।
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भगवान राम से भी जुड़ी है मान्यता
नवरात्रि की एक कथा भगवान राम से भी जुड़ी है, कहा जाता है कि सीता को रावण से वापिस लाने व रावण पर विजय पाने के लिए भगवान राम ने देवी दुर्गा का अनुष्ठान किया। ये अनुष्ठान लगातार नौ दिन तक चला। अंतिम दिन देवी ने प्रकट होकर भगवान राम को जीत का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध कर दिया। राम ने आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक देवी की साधना कर दसवें दिन रावण का वध किया था तभी से हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
प्राकृतिक पहलू
नवरात्र का पर्व दो बार मनाने के पीछे अगर प्राकृतिक कारणों की बात की जाए तो हम पायेंगे कि दोनों नवरात्र के समय ही ऋतु परिवर्तन होता है। गर्मी और शीत मौसम के प्रारंभ से पूर्व प्रक्रति में एक बड़ा परिवर्तन होता है। माना जाता है कि प्रकति माता इसी शक्ति के उत्सव को आधार मानते हुए नवरात्रि का पर्व हर्ष आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रक्रति स्वयं ही इन दिनों समयकाल पर ही नवरात्रि उत्सव के लिए तैयार रहती है, तभी तो उस समय न तो मौसम अधिक गर्म रहता है और न ही अधिक ठंडा होता है। खुशनुमा मौसम इस पर्व के महता को और बढ़ाता है।
भौगोलिक पहलू
अगर भौगोलिक आधार पर गौर किया जाए तो मार्च और अप्रैल की तरह सितम्बर और अक्तूबर के बीच दिन और रात की लम्बाई सामन होती है। इस भौगोलिक समानता की वजह से भी एक साल में इन दोनों नवरात्रि को मनाया जाता है। प्रक्रति में आए इन बदलाव के चलते मन तो मन हमारे दिमाग में भी परिवर्तन होते है। इस प्रकार नवरात्र के दौरान व्रत रखकर शक्ति की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है।
अध्यात्मिक पहलू
अगर एक साल में दो बार नवरात्र मनाने के पीछे के अध्यात्मिक पहलु पर प्रकाश डालें तो जहां एक नवरात्रि चैत्र माह (गर्मी की शुरुआत) में आते हैं तो वहीँ दूसरी सर्दी के प्रारंभ में आती है। गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में आने वाली सौर उर्जा से हम सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि ये फसल पकने की अवधि होती है।
निष्कर्ष
चैत्र नवरात्रि वर्ष का वह शुभ समय है जब देवी दुर्गा और भगवान राम के भक्त उपवास करते हैं और नौ दिनों तक देवताओं से समृद्धि और खुशी का आशीर्वाद पाने की प्रार्थना करते हैं। चैत्र नवरात्रि सबसे प्रतीक्षित हिंदू त्योहारों में से एक है। नौ दिनों के उत्सव के दौरान, लोग देवी शक्ति के नौ अवतारों की प्रार्थना करते हैं और अंतिम दिन राम के जन्म का जश्न मनाते हैं।
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