क्यों है मंडी की होली इतनी खास, एक क्लिक पर जाने पूरी कहानी
हिमाचल में होली हर जगह अलग-अलग ढंग से मनाई जाती है, लेकिन छोटी काशी मंडी की होली इन सबसे बिल्कुल अलग है। मंडी की होली की खासियत यह है कि यहां गैरों पर रंग नहीं डाला जाता। इस दिन सभी लोग सेरी मंच पर एकत्रित होकर एक साथ होली मनाते हैं। जिसमें युवक व युवतियों द्वारा डीजे की धुनों पर थिरकर खूब गुलाल उड़ाया जाता है, वहीं शहर में लोग विभिन्न स्थानों पर छोटी-छोटी टोलियों में निकलकर अपनों के साथ होली खेल कर इस पर्व की खुशियों को सभी के साथ साझा करते है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको हिमाचल की छोटी काशी मंडी की होली के बारे कुछ रोचक किस्से बताएंगे, जिसके बाद आप भी मंडी की होली का आनंद उठाना चाहेंगे, तो आईए जानें छोटी काशी मंडी की होली की खासियत


होली की अनोखी परंपराएं
मंडी जिले के सुकेत इलाके में होली पर बहन–बेटियों को रोटी मायके से भेजी जाती है। बहन–बेटियों को होली के दिन मायके के बांटा (रोटी) का खास इंतजार रहता है। बांटे (रोटी) में देशी घी से बनी नमकीन और मीठी रोटियां होती हैं। यहां के लोगों का मानना है कि मायके की जमीन में उगी फसल का शेयर इस बांटे के रूप में बेटियों को प्रतीक के रूप में दिया जाता है।
होली पर मिटते हैं सारे गिले–शिकवे
सुकेत क्षेत्र में पुराने गिले–शिकवे भी होली पर मिट जाते हैं, यदि आस पड़ोस में पहले किसी से झगड़ा या मन मुटाव हुआ हो तो होली के दिन एक–दूसरे पर रंग डाल कर सुलह कर ली जाती है। रंग लगाकर दोनों पक्षों के लोग एक–दूसरे के गले लगकर गिले–शिकवे मिटाते हैं।
क्या है मंडी की होली का इतिहास
राज देवता माधोराय की भागीदारी तो रियासतकाल से ही होली में रहीं है। उस जमाने में मंदिर के प्रांगण में पीतल के बड़े बर्तनों में रंग घोला जाता था। राज्य अपने दरबारियों के साथ यहां होली खेलते थे। यही नहीं राजा घोड़े पर सवार होकर प्रजा के बीच भी होली खेलने जाते थे। उस समय स्थानीय स्तर पर प्राकृतिक रंगों की महक से होली की रंगत सराबोर होती थी। राजा और प्रजा का मेल आज भी जारी है। राजदेवता माथी राय जनता के बीच जाते हैं।
होली व होलिका दहन 2023 तारीख
बुधवार, 8 मार्च, 2023
होलिका दहन 2023 मंगलवार, 7 मार्च, 2023
होलिका दहन 2023 का समय – शाम 6:24 से 8:51 बजे तक